नई दिल्ली: विराट कोहली की कप्तानी
में 22 साल बाद दूसरी सीरीज़ जीत का सपना लिए गई भारतीय टीम ने आज पहले
टेस्ट मैच में टॉस जीतकर बल्लेबाज़ करने कै फैसला किया है. जिसके साथ ही
भारतीय कप्तान ने पिच के मुताबिक 5 गेंदबाज़ों को खिलाने का निर्णय किया.
जिसमें से 3 स्पिनर्स को मौका दिया गया है.
लेकिन ये हर रोज़ होने वाली घटना नहीं है. जी
हां भारत ने साल 1997 के बाद पहली बार किसी विदेशी मैदान पर तीन स्पिनर
खिलाए हैं. आखिरी बार साल 1997 में कोलंबो के मैदान भारत ने 3 स्पिनर खिलाए
थे. जिसके बाद आज फिर पूरे 18 साल बाद ये दूसरा मौका है जब कोई भारतीय टीम
विदेशी सरज़मीं पर 3 स्पिनर्स के साथ मैदान पर उतरी है.
साल
1997 में जब भारतीय कप्तान सचिन ने ये फैसला लिया तो भारतीय टीम को ये
बहुत भार पड़ा और श्रीलंका के क्रिकेट इतिहास में ऐसा फिर नही दोहराया गया.
उस
मैच में श्रीलंकन टीम ने 6 विकेट के नुकसान पर रिकॉर्ड 952 रन बना डाले
थे. जो आज तक नहीं टूट पाए हैं. सचिन के इस फैसले के बाद सौरव गांगुली,
राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले और सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी ये
हिम्मत कभी नहीं जुटा पाए कि वो विदेशी ज़मीं पर 3 स्पिनर्स के साथ उतर
सकें.
लेकिन भारत के नए
कप्तान विराट कोहली ने ये कर अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा लिया है. क्या
एक बार फिर विदेशी सरज़मीं पर खासकर श्रीलंकन मैदान पर भारत के 3 स्पिनर
खिलाने के फैसले का कैसा असर पड़ेगा?
मैच की पहली पारी में लंच तक भारतीय गेंदबाज़ों ने आधी श्रीलंकन टीम को आउट कर वापस पवेलियन भेजकर ये फैसला थोड़ा सही साबित किया है.
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